मर गयी जो रूह, जीते जी दुनिया में दिलवालो की, उस बेवा बुढ़िया की है ये कहानी ! मर गयी जो रूह, जीते जी दुनिया में दिलवालो की, उस बेवा बुढ़िया की है ये कहानी !
आज लोग जिस्म पर भीख देते नज़र हैं आते ! आज लोग जिस्म पर भीख देते नज़र हैं आते !
ये कविता कवि को अपने उन पुराने यादों में ले जाती जिसमें वो अपने आस पास पुरानी चीजों में अपने अतीत के... ये कविता कवि को अपने उन पुराने यादों में ले जाती जिसमें वो अपने आस पास पुरानी ची...
बेवजह की चिंता छोड़कर, बुढ़ापे का मज़ा लीजिये। बेवजह की चिंता छोड़कर, बुढ़ापे का मज़ा लीजिये।
सिर्फ समझा न गया, तो"स्त्री" का "स्त्री" होनाजो उसकी एकमात्र पहचान थी। सिर्फ समझा न गया, तो"स्त्री" का "स्त्री" होनाजो उसकी एकमात्र पहचान थी।
बूढ़ी आँखों पर लगा के चश्माकोशिश करता था फिर वोकड़वी दुनिया सी सुई के अंदरपिरोने जीवन के धागे को बूढ़ी आँखों पर लगा के चश्माकोशिश करता था फिर वोकड़वी दुनिया सी सुई के अंदरपिरोने...